Wednesday, November 2, 2011

ghazal

जहाँ भी देखता हूँ बस, तेरे रुखसार के किस्से.
तेरे गुस्से की हैं बातें, तुम्हारे प्यार के किस्से.
अजब है रात का आलम, अजब सुब्हा का है मौसम,
गज़ब तेरी वो अँगड़ाई, गज़ब दीदार के किस्से.