Saturday, November 30, 2013

भागमभाग में की गई एक कोशिश=
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प्यार से जब कोई लिपट जाए।
तीर खुद ही कमाँ से हट जाए।

आंच आने न दें वतन पर हम,
चाहे सिर क्यूँ न अपना कट जाए।

गर सताया कभी कलंदर को,
तख्ते शाही भी फिर पलट जाए।

मैं गुनहगार तू खुदाए करीम,
या इलाही अज़ाब हट जाए।

दिल से करता है जो ख़ुदा को याद,
हर बला उसके सर से हट जाए।
=दिलशेर "दिल"

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