Monday, January 26, 2009

=ग़ज़ल=

मेरे दिल की दुनिया लुटाने से पहले!

चला आए कोई, बुलाने से पहले!

ज़मीं ओढ़ लूँगा, अगर वो न आया,

वो आजाये हस्ती, मिटाने से पहले!

न देखा, न जाना, न उससे मिला हूँ,

वो मिल जाए ख़ुद को, भुलाने से पहले!

जो हो सामने तो, ग़ज़ल मैं कहूँगा,

न जाए ग़ज़ल वो सुनाने से पहले!

कई ख़त लिखे हैं, तसव्वुर में 'दिल' के,

वो आ जाए हर ख़त, जलाने से पहले!

=दिलशेर 'दिल' दतिया

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